अनकही बातें कई तुमसे कहनी थीं पास आकर बैठो हाल-ए-दिल ज़रा सुनलो तुम्हें मालूम था परेशानी मेरी संभाला जब उलझी हुई थी सबर का बाँध टूट जाता गर साथ तुम्हारा तब ना होता ऐसे रखा खयाल मेरा जैसे हूँ फूल की पंखुड़ी ऐसा मुझपर असर हुआ इस चाहत में मैं और खिली एक तमन्ना जाग उठी है कहने को दिल बेकरार है एक अरसा हुआ कहे तुमसे मुझे आज भी तुमसे प्यार है Transliteration : Ankahi baatein kayi Tumse kehni…
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