अनकही बातें कई तुमसे कहनी थीं पास आकर बैठो हाल-ए-दिल ज़रा सुनलो तुम्हें मालूम था परेशानी मेरी संभाला जब उलझी हुई थी सबर का बाँध टूट जाता गर साथ तुम्हारा तब ना होता ऐसे रखा खयाल मेरा जैसे हूँ फूल की पंखुड़ी ऐसा मुझपर असर हुआ इस चाहत में मैं और खिली एक तमन्ना जाग उठी है कहने को दिल बेकरार है एक अरसा हुआ कहे तुमसे मुझे आज भी तुमसे प्यार है Transliteration : Ankahi baatein kayi Tumse kehni…
Hindi poem
गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू से एक याद चली आती है भीगती थी जब पानी में वो बरसात याद आती है भूल जाती छत्री जानबूझकर और भीगते घर आती थी चाय की चुसकी लेते जो मुस्कान छुपाती वो शरारत याद आती है ज़माना था वो रेडियो का गानों की भी बरसात होती थी बारिश और गीत में जो होती जुगलबंदी वो मधुर रात याद आती है Transliteration: Geeli mitti ki sondhi khushboo se Ek yaad chali aati…
यूँ चलते चलते जब नज़र ऊपर उठी एक अलग ही दुनिया मुझको दिखी विपरीत और विभिन्न, स्वच्छ और निर्मल नीला अंबर था, या नदी का शीतल जल? छोटे बड़े बादल यहाँ वहाँ फैले हुए नीले फर्श पर जैसे रुई के गोले रेंगते हुए निराकार, निर्बद्ध, श्वेत और शुद्ध दृश्य ऐसा के खो जाए सुध बुध ऐसे में क्षितिज पर देखा काला धुआँ अचानक वास्तविकता का आभास हुआ वाह रे इंसान तू कितना ऊँचा उठा धरती तो मैली हो गई आसमान…